POEMS FROM STUDENTS OF ST. KABIR SCHOOL (DRIVE IN)
एक कविता मां के नाम…
सबसे प्यारी मेरी मां,
मेरे जगत का दुख तू हरती ।
बिन बोले समझ जाती है,
जब भी मैं उदास होती तब है मनाती ।।
मां है मेरी सबसे न्यारी,
देखी नहीं कही ऐसी नारी ।
देवी का रूप है माता मेरी,
नर्मी जिसकी जन्नत के सुख पर भारी ।
परिशुद्ध प्रेम का अर्थ समझाया,
मां जिस दिन तूने गोद में उठाया,
रोने पर बड़े ही प्यार से गले लगाया ,
अपने कोमल हाथो से,
मुझे चुप कराया।
ज़िन्दगी की सारी मुसीबतों से
मां की दुआ ने ही तो बचाया,
प्यार से समझाकर मुझे,
ज़िन्दगी का सही रास्ता दिखाया ।
मां तेरा ऋण मैं कभी नहीं चुका सकती,
नहीं कभी नहीं मैं चुका सकती,
लेकिन बात मानकर तेरी,
तेरे हृदय को प्रसन्न मैं कर सकती।
जगत में चाहे जहां भी रहूं ,
तेरे दिल में मैं हमेशा रहती हूं,
मां, इस जगत में तू चाहे जहां भी हो,
मेरे दिल में सदा वास करती हो।
कभी कभी के झगड़ो से,
बात नहीं है बिगड़ती,
रिश्ते हमारे होते गहरे
जैसे जैसे मैं तुझको समझती ।
मां का प्रेम है संसार का सबसे शुद्ध गीत,
प्राप्त होना जिसका जन्नत से भी बड़ी जीत।
हमारे हृदय के गीत भी कुछ एक जैसे होते हैं,
समझ लेते हैं भावना मात्र से हम अपना संगीत !
मां तेरे लिए शब्द कम पड़ते हैं,
ऐसा गहरा है हमारा रिश्ता,
आखिर तू है, भगवान का भेजा हुआ एक सुंदर फरिश्ता,
देख के तुझे दिल होता मेरा प्रसन्नचित,
मां हमारा अनंत प्रेम एक दूसरे हेतु सदा रहे आनंदित ।।
COMPILED BY – अनन्या तिवारी
- KABIR SCHOOL – DRIVE IN NEW